बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

हिंदुस्तान




बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

और यूं बीत गया महाकुंभ

लंबी-लंबी लाइनें, हर ओर चल रहे डांस फरफार्मेंसेस, कहीं बाइक पर स्टंट दिखाते कलाकार तो किसी ओर फिल्मी कलाकारों को देखने के लिए पागल होती भीड़। अरे भाई ये सब कहीं हो नहीं रहा है बल्कि बीत चुका है। मैं ऐसे महाकुंभ की बात कर रहा हूं जो 1986 से देश में छोटे पैमाने पर लगना शुरू हुआ था पर अब वह बिकराल रूप ले चुका है। चलो हो गया अब गैस मत करो मैं खुद बता देता हूं। ये महाकुंभ था ऑटो एक्सपो का, जो दिल्ली के प्रगति मैदान में 5 जनवरी से 11 जनवरी तक चला।
शो तो था गाड़ियों का पर लड़कियों को यहां पर गाड़ियों से अधिक खूबसूरत बनाकर पेश किया गया। पूरे बीस लाख लोग जिस शो को देखने आए और कहा गया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो शो साबित हुआ। पर सच में इस शो में गाड़ियों से अधिक लोगों ने उन मॉडलों के किए जो बॉडी शूट में गाड़ियों की खूबसूरती फीका करने का सफल प्रयास कर रही थीं।
10 जनवरी को इस ऑटो शो में दिल्ली पुलिस की धमाकेदार एंट्री हुई परिणामस्वरूप पुलिसवालों ने इस ऑटो शो के कल्चरल शो को बंद करवा दिया। कारण ये था कि कम कपड़े में लड़कियों को नाचता देख जनता बेकाबू हो गई। शो बंद होते ही कंपनी वालों के साथ-साथ आयोजकों की भौहें भी तनीं पर सुरक्षा के लिहाज से इस शो में पुलिस का शो सबसे शानदार रहा। न आयोजकों की चली न कंपनी की विजिटर निराश थे क्योंकि उनकी मेहनत की कमाई पुलिसिया सख्ती की भेंट चढ़ गई।
अरे सबसे अच्छी बात तो तब हुई जब 9 बार के मोटरसाइकिल रेस चैंपियन वोलेंटोनी रॉसी जो कि यमाहा के ब्रांड अंबेस्डर हैं उनको कंपनी ने पहली बार भारत बुलाया। उनका स्वागत दिल्ली के थकाते ट्रैफिक में हुआ, बेचारे किसी तरह से प्रगति मैदान पहुंचे तो वहां पर पहुंचते ही जैसे लोगों को परिचय मिला बस क्या था यमाहा के पवेलियन में ऐसा धमाका हुआ जिससे इस चैंपियन के होश उड़ गए और महोदय किसी तरह से कुछ बाउंसर की मदद से बाहर आने में सफल रहे। पर यमाहा ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और आनन फानन में जॉन और रॉसी की प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करवाई। मुझे भी रॉसी से दो चार बातें करने का मौका मिला। पर जो रॉसी ने कहा उसे सुनकर आपका दिल भी पसीज जाएगा। रॉसी का कहना था कि यहां पर सिर्फ बाइक से ही चला जा सकता है क्योंकि दिल्ली में तो कारें रेंगती हैं। ये रॉसी का दर्द था जिसे उन्होंने बिना रेस भरे कम शब्दों में कह दिया।
युवाओं की नगरी में बड़ी गाड़ियों के उन शौकीनों का ख्वाब पूरा हुआ जो सिर्फ ऑडी, बीएमडब्लू या फिर अन्य महंगी कारें देखना चाहते थे। पर कुछ का ख्वाब टूटा भी क्योंकि वे दो साल में एक बार आने वाले इस महाकुंभ के दरवाजे पर दस्तक देने तो पहुंचे, पर अंदर जाने के लिए न उन्हें टिकट मिला न ही किसी पास का इंतजाम हो सका। देखते-देखते शो खत्म हुआ यातायात बहाल हुआ, बहुत से लोगों ने दुआ मांगी की भगवान गाड़ियां सिर्फ शो में ही सिमट जाएं तो अच्छा होता क्योंकि अगर ये सड़क पर आईं तो इन सड़कों का क्या होगा।