गुरुवार, 31 जुलाई 2008
जय भोले और ये दे मारा
किस पुराण में लिखा है की किसी को सताकर भी आप भक्ति कर सकते हैं. सिर्फ़ हरिद्वार जाने से ही वहां का गंगाजल पैदल चलकर लाने से ही भगवान् खुश नही हो जाते. अभी मैंने कंवाद के मेले में जो देखा उसका जिक्र यहाँ कर रहा हूँ जो आप सुनकर दंग रह जायेंगे. मैं अपने घर वापस जा रहा था आश्रम के पास से डाक कांवड़ वाले जा रहे थे एक आदमी गंगाजल लेकर दौड़ रहा था और एक मिनी ट्रक में १५ के लगभग लोग भगवे रंग के ड्रेस में बैठे हुए थे. इस ट्रक के आगे ६ लोग मोटर साइकिल पर सवार थे जिनके हाथ में मज़बूत हान्कियाँ थीं. ये लोग रास्ता खाली करवाने का काम कर रहे थे. मैंने अपनी आंखों से देखा की जय भोले के नाम का नारा लगते ये लोग रास्ता खाली करवाने के लिए तीन चार गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए. एक बार मेरा मन हुआ की लावो मैं इन्हे भोले की महिमा बता दूँ पर चुप रहा क्यूँकी ये आस्था का सवाल था. अब हमारे देश में आडम्बर के नाम पर इस तरह से अपने ही लोगों के लिए मुसीबतें खादी कर रहे हैं जो किस हद तक जायज़ है ये सोचने वाली बात है. अब जी गाड़ियों के शीशे टूटे थे वो कहीं इसकी शिकायत भी नही कर सकते क्यूंकि ये आस्था का सवाल था. अब आप ही सोचिये क्या ऐसे दोषियों को सज़ा देने का प्रावधान हमें नही बनाना चाहिए. पता नही क्यूँ जब इस तरह के भोले बने लोगों को मैं देखता हूँ ज़ल भुन जाता हूँ. अरे भइया किसी के लिए कुछ न कर सको तो कम से कम उनका बुरा तो मत करो. भोले सबकी रक्षा के लिए जाने जाते हैं सिर्फ़ आग लगाने के लिए और दंगा फैलाने के लिए नही. अमित द्विवेदी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 टिप्पणियां:
it was real story ,i also saw the same type of things when i went rurki some days before.
i feel shame when i see this type of things on the name of god and religion in our country,
it was real story ,i also saw the same type of things when i went rurki some days before.
i feel shame when i see this type of things on the name of god and religion in our country,
it was real story ,i also saw the same type of things when i went rurki some days before.
i feel shame when i see this type of things on the name of god and religion in our country,
आपने ठीक कहा है आज कल ऐसा ही हो रहा है
एक टिप्पणी भेजें