सोमवार, 31 अगस्त 2009
......और मैम चली गईं
अरे नालायकों जल्दी आ जाओ देखो टीवी पर कौन आ रहा है, आज की खबर सुन तो बाद में काम आएंगी देश विदेश में क्या हो रहा है तुम सबको जानना चाहिए। ये घुडकी आज की नहीं बल्कि 12-15 साल पुरानी है। इसे हमारे पिता जी प्रयोग दिया करते थे। उस समय की यह घटना मुझे आज इसलिए याद आ गई क्योंकि आज जो घटा शायद इतना बडा मेरे सामने अब न घटे। मैंने दो माह पहले हिंदुस्तान ज्वाइन किया था। मेरा साक्षात्कार म्रिणाल मैम ने लिया था। जब मेरा उनसे सामना हुआ तो मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि जिन लाइनों का जिक्र मैंने उपर किया उसकी वजह मैम थीं। वे दूरदर्शन पर समाचार पढती थीं। मेरे चाचा की शादी में एक अप्ट्रान टीवी मिला था। वह टीवी बैट्री से चलती थी जिसे हम अपने गांव से पांच किलोमीटर दूर चार्ज कराने ले जाते थे। म्रिणाल पांडे मैम को मेरा पूरा गांव जानता था क्योंकि सब इकट्रठा होकर समाचार सुनते थे। पर आज जो हुआ उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी मैम ने संस्थान को हमेशा के लिए छोड दिया। सैकडों लोग दुखी मन से उन्हें विदा कर रहे थे मैं भी उत्सुकता भरी नजरों से उन्हें देख रहा था तथा उनकी मधुर आवाज से निकल रहे विदाई संदेश को सुनता जा रहा था। मैम के साथ मुझे काम करने का अधिक मौका नहीं मिला पर वे मेरे लिए किसी आदर्श से कम नहीं थीं क्योंकि मैंने उन्हें देखकर अपना बचपन बिताया था इसलिए उन्हें अचानक जाते देख थोडी निराशा हुई। पर एक खुशी इस बात की थी कि चलो जिसके साथ अमर उजाला में रहकर काम सीखा था अब वे नए बिग बॉस के रूप में हमारे संस्थान में आ चुके हैं। पर हिंदी मीडिया की इस बडी घटना का गवाह बनना भी मेरे लिए किसी गर्व से कम नहीं था। हो सकता है कि बहुत से लोग मेरी बातों से सहमत न हों कि मैंने मैम की अच्छाई बताई है पर मैं अपनी जगह सही हूं क्योंकि मैंने मैम के साथ सिर्फ दो महीने ही काम किया इसलिए इतने कम समय में किसी को बुरा कहना उसके साथ नाइंसाफी होगी। वैसे भी हर आदमी हर किसी के लिए बुरा नहीं होता। यह सच्चाई है। बुरा मानोगे तो पूरी दुनिया बुरी अच्छा समझोगे तो हर कोई अच्छा। पर मैं सच में मैडम का इस बात के लिए आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपने साथ पूरे दो महीने काम करने का अवसर दिया।
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और वो चली गईं
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