शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

ओए दूर रह नहीं तो लोग क्या कहेंगे

पता है अंकल आज मैंने आपकेबेटे को एक मॉल में एक लड़के के साथ देखा दोनों आपस में बातें कर रहे थे और गले भी मिल रहे थे। थोड़ी देर बाद दोनों मैक्डोनाल्ड में गए जहां उन्होंने एक साथ बैठकर बर्गर खाया। यह सुनते ही अपनी पत्नी को आवाज लगाते हुए कहा अजी सुनती हो देखो हम बबाüद हो गए। यह सब कुछ तुहारा किया कराया है कहा था बेटे को लड़कों केसाथ खेलने बाहर मत भेजा करो पर तुमने मेरी एक बात भी नहीं सुनी। लो अब दिल को तसल्ली मिल जाएगी जब घर में बहू की जगह कोई और लड़का ले लेगा। यह तस्वीर आज के बदलते समाज की है। जिसमें अब लोग लड़के-लड़कियों केसाथ लड़कों को भी संदेह भरी नजरों से देखने लगे हैं। इसके डर के कारण अगर आप अपने दोस्त केसाथ घूमने गए तो हो सकता है वह तुहे कह दे भाई थोड़ी दूरी बनाकर रखो जमाना खराब है। शनिवार को मैं 7 फरवरी यानी की रोज डे पर अपने एक मित्र केसाथ धार्मिक भावना केसाथ नोएडा केसेंट्रल स्टेज माल गया जहां दो लड़के आपस में कुछ ऐसी ही बातें कर रहे थे। जहां हर तरफ प्यार की खुशबू गुलाबों केसाथ-साथ महक रही थी तो वहीं दूसरी ओर इस तरह की बातें भी माहौल को गरम कर रही थीं। इस चर्चा में और आग लगा दी दोस्ताना ने। जिसने दोस्ताना देखी वह उसकेइफेक्ट से अपने आप को बचा ही नहीं पा रहा है। अब तो छोटे-छोटे बच्चे भी अपने पापा से दोस्ताना क्या होता है? जैसे सवाल पूछने लगे हैं। हालांकि यह अलग बात है कि उन बच्चोंं को इस सवाल का जवाब अच्छी तरह से पता है। पर मजे लेने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। श्रीराम सेना, शिवसेना और ना जाने कितनी सेना प्यार करने वालों पर लगाम कसने के लिए कमर कसकर खड़ी हैं। पर इन राजनीति केनाम पर रोटी सेंकने वालों को इस बात की शायद खबर नहीं है कि अब उन्हें दोस्ताना के खिलाफ कोई कदम उठाकर कुछ नया करना चाहिए। पर जो भी हो मेरा काम तो लिखना था सो लिख दिया अब आप इस पर क्या सोचते हैं वह आप जानें।

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

अटल जी आप ठीक हो जाएं मुझे आपसे मिलना है




मेरे गांव में हर शिवरात्रि पर एक बड़ा मेला लगता है जिसमें हजारों लोग दूर-दूर के गांवों से शिरकत करने आते हैं। मैं जब छोटा था उस समय एक बार मलमास पड़ा। जिसकेउपलक्ष में मेरे गांव में पूरे एक महीने का मेला लगा। उसी दौरान भाजपा धीरे-धीरे उठने का प्रयास कर रही थी। बस्ती जिले से सांसद का चुनाव और हरैüया विधान सभा का चुनाव एक साथ हो रहा था। मेरे यहां से सांसद केलिए श्याम लाल खड़े हुए थे जबकि विधायकी के लिए जगदंबा सिंह मैदान में उतरे थे। मंदिर-मçस्जद का विवाद जोरों पर था पर उस समय तक मçस्जद नहीं टूटी थी। हर दीवार पर एक ही नारा मैंने लिखा देखा था जो कि कुछ इस प्रकार था,`राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे´।
उस समय अटल विहारी वाजपेई और कल्याण सिंह की हर ओर धूम थी। मैं उस समय सात साल का था। मेरे गांव के मेले में दो स्टेज बने हुए थे एक कांग्रेस का और दूसरा भाजपा का। मैं उस समय भाजपा का बहुत बड़ा समर्थक हुआ करता था क्योंकि मेरा पूरा परिवार भाजपा से जुड़ा था। मुझे एक शरारत सूझी और मैं कांग्रेस के मंच पर चला गया और वहां से भाजपा और अटल बिहारी वाजपेई के बारे में खड़े होकर जो नेताओं से थोड़ा बहुत सुना था वह भाषण देने लगा। पहले तो मंच पर बैठे कांग्रेसियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि मैं क्या बोल रहा हूं पर जैसे ही उन्हें पता चला कि मैं भाजपा की बड़ाई कर रहा हूं सभी ने मेरे हाथ से माइक छीन लिया और मेरे घर पर शिकायत भी लगा दी। उस समय मेरे मन में यह आया कि मैं अटल बिहारी वाजपेई से मिलकर इसकी शिकायत करूंगा। पर मैं धीरे-धीरे बड़ा हो गया और सब भूल गया। पर जब मैं मीडिया में आया तो मेरे मन अटल जी का साक्षात्कार करने का हुआ। उसके लिए मैंने खूब प्रयत्न किया पर अब तक सफल ना हो सका क्योंकि उनकी तवियत ठीक नहीं थी। पर पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि मैं अटल जी से मिलने में जरूर सफल हूंगा। मैं दुआ करता हूं कि वे जल्दी से ठीक हो जाएं।

सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

पब संस्कृति के खिलाफ विरोध कितना सही

मंगलौर में पब में लड़कियों के साथ जो घटना घटी उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। धर्म की ठेकेदारी करने वाले गली के आंवारा लोगों ने पब पर हमला करके सारे कानून को तोड़कर रख दिया। जो नेता आज इस संस्कृति का विरोध कर रहे हैं वे खुद इसमें बुरी तरह से लिप्त हैं उनके बेटे बेटियों केदिनचर्या में यह संस्कृति शामिल है। पर उसका इस तरह से विरोध करके इन समितियों ने अपनी असलियत दुनिया केसामने उजागर कर दी है। मेरा मानना है कि अगर पब में कुछ गलत हो रहा था तो उस पर कार्रवाई पुलिस के माध्यम से होनी चाहिए थी। इस घटना को देखकर मुझे पंजाब की एक घटना याद आ जाती है जिसमें पटियाला में एक क्लब पर छापा मार करके पुलिस ने वालों ने बहुत सारे लड़के-लड़कियों को पकड़ा था उसय दौरान मीडिया में आई तस्वीरों में लड़कियों की बुरी हालत देखते बनती थी। मुंबई में भी कुछ ऐसा ही पुलिस ने किया था।
पर इन घटनाओं पर किसी ने कोई सवाल इसलिए खड़ा नहीं किया क्योंकि इस कार्रवाई को एक चैनल केतहत अंजाम दिया गया था। पर मुझे समझ नहीं आता शिवसेना, रामसेना, नवनिर्माण सेना, बजरंग दल जैसे तमाम दल कौन होते हैं इस तरह से किसी जगह पर हमला करने वाले। इस घटना को हर किसी ने निंदनीय बताया पर अभी बीजेपी इसे गलत नहीं मान रही है उसके बड़े नेताओं द्वारा इस पर अभी भी बयान जारी किए जा रहे हैं जिसमें पब संस्कृति की निंदा करने के साथ इस सिर्फ इस घटना के तरीके को खराब बता रहे हैं। ााजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनय कटियार ने कुछ ऐसी अपनी प्रतिक्रिया इस पर रखी,``श्रीराम सेना को लोकतांत्रिक तरीके से पब संस्कृति का विरोध करना चाहिए मारपीट से नहीं। मंगलौर में पब में लड़कियों के साथ मारपीट करना गलत था क्योंकि यह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि पब संस्कृति का विरोध अवश्य किया जाना चाहिए क्योंकि यह संस्कृति हिन्दू विचारधारा को धूमिल करने का प्रयास कर रही है।´´ अब इस घटना पर एक दूसरी तरह की बहस होती है जिसमें मुझे भी कुछ चीजें स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं। वह मैं आप सब भड़ासी सदस्यों से जानना चाहता हूं कि क्या पब संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए? क्या राम सेना की तरह की गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए? इस पर सरकार का क्या रुख होना चाहिए? और आप इस मसले पर क्या कहते हैं? खास करके भड़ास जैसे मंच पर इस बात पर बहस होनी चाहिए। इसलिए अब यह विषय आपलोगों के हवाले कर रहा हूं।