शनिवार, 18 अप्रैल 2009

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

जनरैल ने जो किया वो एकदम सही किया

जनरैल सिंह ने जो किया वह एकदम सही है। सिखों की बात कोई सुनने का प्रयास तो कर नहीं रहा है। सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर जैसे खुले भेçड़ये समाज में घूम रहे हैं जिन पर सरकार का कानून भी नहीं चलता। ऐसे में सिर्फ एक रास्ता बचता था जो कि जनरैल ने अपनाया। हो सकता है कि यह उनकी सोची समझी चाल हो पर कुछ भी हो यह एक ऐसे जायज आक्रोश का नतीजा है जिसे पूरे देश ने देखा। यह बात दूसरी है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया केटुटपुजिए पत्रकारों ने उन्हें किसी अखबार का तथाकथित पत्रकार कहा जो कि एक वरिष्ठ पत्रकार केमर्यादा के खिलाफ है। इलेक्ट्रानिक मीडिया केछिछोरे पत्रकार जिनकी समाज में सिर्फ एक हास्यास्पद इमेज है उन्होंने इसे अनैतिकता भरा करार दिया जबकि वे अपनी गिरेबान झांकना भूल गए कि वे कितने नैतिक हैं। गृहमंत्री पर जनरैल ने जूता नहीं मारा बल्कि उनकेऊपर जूता उछाला था जिसमें उनका मकसद सिर्फ एक संदेश देना था न कि उनको मारना इसलिए किसी भी कीमत पर इसे अनैतिक नहीं कहा जाना चाहिए। हो सकता है कल जागरण उन्हें नौकरी से निकाल दे क्योंकि वह अखबार अपनी साख पर आंच नहीं आने देना चाहता पर जो किसी का जज्बा था वह खुलकर सामने आ चुका है। मुझे नहीं लगता कि जनरैल ने हीरो बनने के लिए यह सब किया है यह एक व्यçक्त की त्वरित प्रतिक्रिया थी जो कि गुस्से के रूप में निकली है इसका समान होना चाहिए तथा इस पर हर किसी को गंभीरता से विमर्श करना चाहिए बजाय कि जनरैल की निंदा करने के।

शनिवार, 4 अप्रैल 2009

अगर आप वोट नहीं दे रहे हैं तो सो रहे हैं


मैंने दिल्ली में संपन्न हुए कुछ माह पूर्व विधान सभा चुनावों के लिए एक बुजुर्ग महिला से कहा,`चलो आज मैं आपको वोट दिलवाकर लाता हूं।` महिला ने जवाब दिया,`बेटा आई हैव नो इंट्रेस्ट इन वोटिंग, बीकाज आई नो आल लीडर्स आर कोरप्ट। सो व्हाई आई शुड गो देयर टू वेस्ट माई टाइम।` बुजुर्ग महिला की ये बातें सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा। वे एक अच्छे परिवार से संबंध रखती हैं उनके पति आईएस आफीसर थे दुनिया के न जाने कितने देशों की वे सैर कर चुकी हैं। पर उनका वोटिंग के प्रति रवैया देखकर मुझे बहुत बुरा लगा। लोक सभा चुनावों को लेकर हर नेता न जाने कहां-कहां चुनाव प्रचार में जा रहे हैं। वोटरों को रिझाने के लिए न जाने कौन-कौन से हथकंडे अपना रहे हैं। आपको एक बात जानकर हैरानी होगी जो लोग इन नेताओं का भविष्य तय करते हैं उसमें से अधिकतर लोग अशिक्षित या गंवार हैं। किसी ने कहा हम मंदिर बनवा देंगे तो उनका भगवान प्रेम जग गया। किसी ने कहा हम तुहें आरक्षण दिलवाएंगे तो वोटर उधर चला गया। बहुत से वोटर जो खामोश रहते हैं उनको दारू की जरूरत होती है ऐसे अधिकतर वोटर महानगरों के झुग्गी झोपडियों का हिस्सा हैं। अब आप ही सोचिए सरकार किसने बनाया? जवाब मिलेगा सरकार उसने बनाया जिसे कोई फैसला लेने का सलीखा नहीं बस थोड़े से लाभ के लिए वे पार्टियों के साथ हो लिए। माना हर तरफ भ्रष्ट नेता हैं पर आप नजर दौड़ाएं तो उसमें से एक निर्दलीय प्रत्यासी भी आपको लिस्ट में जरूर मिलेगा जिसकी इमानदारी का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वह करोड़ों रुपये चुनाव अभियान पर नहीं फूंक रहा है। आप अगर वोट देंगे तो बड़े नेताओं को उनकी औकात समझ में आ जाएगी। अगर आप सिर्फ ये सोचकर घर में बैठे हैं कि सब भ्रष्ट हैं मैं किसको वोट दूं तो इसका मतलब है कि आप सो रहे ऐसे निर्जीव प्राणी हैं जिन्हें अपने आसपास का माहौल अच्छा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। आप निकम्मे और डरपोक इंसान हैं जिसमें कोई फैसला करने की हिम्मत नहीं है। भाई मत दो भ्रष्ट आदमी को वोट पर वोट जरूर दो कम से एक बार देकर तो देखो इस राजनीति की कितनी अहम कड़ी हैं इसका अंदाजा आपको लग जाएगा। मत बनाओ भ्रष्ट नेता अपने में से किसी को निकालो जो इमानदार हो उसे वोट दो पर यह पुण्य का काम जरूर करो। देश के हर युवक की यह जिम्मेदारी है कि वह मताधिकार को अपने आने वाली पीढ़ी में बोझ की तरह नहीं बल्कि एक संस्कार केरूप में ढ़ाले जिससे मताधिकार को लोग अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझें। यह मेरा एक अभियान है उम्मीद करता हूं इसके माध्यम से आप एक जागरूक समाज को बनाने में अहम रोल निभाएंगे। तो आइए मेरे साथ और प्रण कीजिए की वोट देना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे देखकर रहेंगे।