शनिवार, 25 अक्तूबर 2008

बन सकते हो तो राज ठाकरे बनो

जब कोई बच्चा होता है तो उसे उसके परिवार वाले बड़े आदर्शों वाली कहानियाँ सुनते हैं और उसे वैसा आचरण करने के लिए और उसके जैसे बनने के लिए कहते हैं. पर मैंने जब से राज की दादागिरी मुंबई में देखी है तबसे मन कर रहा था कुछ लिखूं और आज मौका मिला तो लिख रहा हूँ. मैं आप सबसे कहना चाहता हूँ की अगर आप कुछ बनना चाहते हैं तो राज ठाकरें बनो. राज एक ऐसा नाम है जो कुछ भी कर सकता है. वो जेल के बाहर घूमने वाला गुंडा है. पर पुलिस उसके सामने कुछ भी नही किसी को वो मर सकता है किसी कोई पीट सकता है कुछ भी किसी कोई कह सकता है कानून और अदालत उसके सामने कोई मायने नही रखते. अब आप ही सोचिये अगर हम सब राज ठाकरे जैसा बन जायें तो देश से पुलिस और कानून की ज़रूरत ख़त्म हो जायेगी. क्यूंकि सरकार तो राज कोई चैलेन्ज कर नही सकती तो उसे कम से कम हम एक गुंडा संप्रदाय का प्रतिन्धित्व करने के कारन चैलेन्ज तो कर पाएंगे. भाई जिस बन्दे में इतनी ताकत है ऐसा बन कर हम भी देश का नाम रोशन करें. इसके बाद फिर हम राज ठाकरे से पंगा भी ले पाएंगे. तो भाइयों मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ की सामने आयें और नही ज्यादा तो एक राज ठाकरे बनकर दिखाएँ क्यूंकि ऐसा करने से ही आप इस देश के शसक्त नागरिक कहलावोगे. तो आवो आज हम सकल्प लें की इंडिया के हर प्रदेश और शहर पर अपनी क्षेत्रीय भाषावों का राग गाकर अपना बर्चस्व कायम करें.
जय राज ठाकरे का नारा लगावोए और देश में सैकडों राज बनावो

1 टिप्पणी:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " ने कहा…

ना तो वह पहला रहा, ना ही अन्तिम जान.
चला सनातन काल से स्वतन्त्रता संग्राम.
स्वतन्त्रता संग्राम, आज भी जारी बन्धु.
भारतमाता इन्डिया से कब हारी बन्धु?
कह साधक यह धर्म-विरोधी तन्त्र हटाओ.
राम के भाई भरत का शासन फिर से लाओ.

किसके बल पर पल रहा, राज नहीं अब राज़.
सत्त्ता-पैसा-बाहुबल,सिर चढ करते राज.
सिर चढ करते राज,तू किससे करे शिकायत.
सही बात सुनले यारा,तुझसे ही शिकायत.
कह साधक कवि,गुन्डागर्दी किसके बलपर ?
राज़ नही अब राज बढ रहा किसके बलपर.