मंगलवार, 4 नवंबर 2008

मैं और मेरा ऑफिस

मैं हर एक पल का शायर हूँ हर एक पल मेरी जवानी है हर एक पल मेरी मस्ती है हर एक पल मेरी कहानी है।
मैं और मेरा ऑफिस आपास में अक्सर ये बातें किया करते हैं की मैं वहां होता तो कैसा होता मैं वहां होता तो कैसा होता। लेकिन ये यात्रा किसी को नही पता की कहाँ जाने वाली है मुझे भी। देखते हैं मैं और मेरी ये उड़ने की जिज्ञासा मुझे कहाँ ले जातीं हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: