शुक्रवार, 26 जून 2009

अमेरिका की खुली चमचागिरी है न्‍यूयॉर्क

इरफान खान के इस मूवी के डायलॉग हमेशा सही बताने में लगे रहे कि अमेरिका कितना अच्‍छा देश है। बीच-बीच संवादों को संतुलित करने के लिए उन्‍होंने यह बात भी स्‍वीकार की अमेरिका ने कई बडी गलतियां की हैं। पर इसके अलावा इस मूवी में एक बात ही समझ में आई कि इस मूवी का निर्माण आदित्‍य ने सिर्फ यह बताने के लिए किया कि अमेरिका में वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद 12 सौ मुसलमानों पर एफबीआई ने जुर्म ढाए थे जिन पर सभी आरोप बाद में खारिज हो गए थे। यह ऐसी बात है जिसे इंटरनेट के माध्‍यम से हर कोई जानता है पर मूवी समाप्‍त होने पर यह संदेश दिखता है। इस मूवी में कहीं रोमांच दिखता हो यह याद नहीं आता क्‍योंकि सभी को पता था कि न्‍यूयॉर्क की एफबीआई बिल्डिंग को जान अब्राहम नहीं उडाएंगें। पर मुझे इस बात पर काफी गुस्‍सा आया कि जब जान यानी की समीर को गोली लगी तो निर्देशक कबीर खान साथ में कटरीना यानी की माया को क्‍यूं मरवा दिया। वो जिंदा रहती तो कम से कम दर्शक यह तो कह पाते चलो अच्‍छा हुआ नील नितिन मुकेश को उसका प्‍यार वापस मिल गया भले ही वह एक बच्‍चे के साथ मिला। पर मूवी के अंत में नील को ढेर सारे संघर्षों के बाद अपनी प्रेमिका का बच्‍चा मिलता है। इस मूवी को जिस वर्ग को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है वह पढा लिखा तपका है इसलिए अंग्रेजी के संवादों की कमी नहीं है। हिंदी जानने वालों के लिए ट्रिकर का प्रयोग किया गया है पर वह उतना प्रभावशाली नहीं है। जान ने अपनी भूमिका को सजीव बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोडी है। नील और कटरीना की भूमिका औसत है। न्‍यूयार्क का कोई ऐसा संवाद नहीं जिस पर हंसी आती हो पर कहीं-कहीं हास्‍य के पुट डालने की कोशिश जरूर लगती है। उदाहरण के लिए जब इरफान नील को कुछ माइक्रोफोन देता है और नील उसे पटक देता है इस पर इरफान कहता है कि तुम इसे पटके बिना भी अपनी बात कह सकते थे। अगर संगीत की बात की जाए तो जुबान पर कोई गाना याद नहीं आता। जिस हाल में मैंने यह मूवी देखी वहां के दर्शक कलाकारों से अधिक प्रतिभाशाली थे। एक द्रष्‍य में जब इरफान को यह बताता है कि माया यानी की कटरीना की शादी हो गई है और उसके एक तीन साल का बच्‍चा भी है। इस पर दर्शकों की प्रतिक्रिया थी, साला मामू बन गया। अब मजे कर। कुल मिलाकर इस मूवी में ऐसा कुछ नहीं है जिसे दर्शक पसंद करें। अगर अमेरिका की बहादुरी देखनी है उसकी तारीफ सुननी है तो जरूर इस मूवी को देखें।

2 टिप्‍पणियां:

somadri ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पे..आन हुआ. मैंने फिल्म न्‍यूयॉर्क देखी और में आपकी बात से सहमत हू

अमित द्विवेदी ने कहा…

thanks mam mere blog par aane ke liye.