रविवार, 6 जुलाई 2008
रामराज्य की अवधारणा के बारे में
हर स्थान पर एक आदर्श स्थिति को ही पैमाना मान कर परिस्थितियों को मूल्यांकित करा जाता है। भारत में आदर्श समाज के संदर्भ में "रामराज्य" को आदर्श माना जाता है इस लिये मैंने इसे आधार मान कर आज के समाज और सामाजिकता का मूल्यांकन अपने नजरिये से करना प्रारंभ करा है। कई बार हो सकता है कि लगेगा कि मैं किन्ही विशेष पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हूं या मेरी सोच कुंठित है तो आप अपना नजरिया बताने से पीछे मत हटियेगा ताकि हम मिल कर आज की सामाजिक विषमताओं से ऊपर उठ कर एक सुगठित समाज को बल दे सकें।
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1 टिप्पणी:
आप बदलना चाहते,इस समाज के ढंग.
और सोच लें राम खुद,हुये इसीसे तंग
हुये इसीसे तंग,सती सीता ठुकराई
धोबी के चक्कर में,मन की शान्ति गँवाई.
कह साधक कवि,अच्छा है खुद को ही बदलना.
पर समाज के ढंग, चाहते आप बदलना.
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