गुरुवार, 17 जुलाई 2008

ज़िंदगी एक सफर है सुहाना....

कुछ ऐसे भी पल आए थे जिसपर अब यादों के साये हैं
कुछ पल भी ऐसे आए थे मैं खडा रहा खामोश, तस्वीर बनी अब यहाँ टंगी कुछ कहना नही सुनना नही

कुछ ऐसा मौसम आया था हर तरफ़ तूफ़ान सा छाया था, आयी थी जोरों की आंधी पर माँ ने मुझे बचाया था


मैं पल दो पल का बन्दा हूँ पल दो पल मेरी कहानी है



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