गुरुवार, 7 मई 2009

इसलिए लोग बन जाते हैं पप्‍पू

रात में सोते समय मैंने अपना मतदाता पहचान पत्र निकालकर बाहर रख दिया क्‍योंकि मुझे ब्रहस्‍पतिवार की सुबह वोट देने जाना था। सुबह होते ही बडे उत्‍साह के साथ पोलिंग बूथ पर पहुंचा पर उन लोगों ने मुझे निराश कर दिया। क्‍योंकि ऐन वक्‍त पर भाइयों ने बूथ ही बदल दिया एमसीडी स्‍कूल के बजाय पोंलिंग बूथ लक्ष्‍मण पब्लिक स्‍कूल में भेजा। बहुत से लोगों को जिसे पहले एमसीडी स्‍कूल वाला पता बताया गया था सब वहीं पहुंचे जिसके बाद सबको लक्ष्‍मण पब्लिक स्‍कूल भेजा गया। बहुत से लोग तो नाराज होकर पप्‍पू बन गए और फैसला कर लिया कि वोट नहीं करेंगे। यहां की दुर्व्‍यवस्‍था देखकर मुझे लगा कि बहुत सारे पोलिंग स्‍टेशनों पर सरकार के तरफ से बरती जाने वाली इन अनियमितताओं के चलते बहुत से लोग वोट नहीं करते। यहां पर मुझे लगा कि पप्‍पू वाले विज्ञापनों के साथ-साथ सरकार को इन चीजों पर भी विशेष ध्‍यान देना चाहिए। जिससे बहुत से लोगों को वोट करने में सहूलियत मिल सके। पर एक बात इस बार मुझे बहुत अच्‍छी लगी मैंने वोटिंग करते हुए बहुत से ऐसे लोगों को देखा जो कि वोटिंग प्रणाली में इसके पहले भरोसा नहीं करते। एक एलीट क्‍लास वोट करने के लिए निकली। मेरे एक दोस्‍त का फोन आया मैंने उससे पूछा भाई कहां उसका जवाब मिला वोट करने के लिए लाइन में लगा हूं एक घंटे में फ्री हो जाएगा। मेरे इस दोस्‍त को इस बात की खुशी थी कि वह पहली बार वोट कर रहा है। इससे पता चलता है कि लोग अब पप्‍पू बनने से कितना दूर रहना चाहते हैं। वैसे पप्‍पू कहलाने से तो अच्‍छा ही है कि हम अपने मता‍धिकार का प्रयोग कर दिया करें। आखिर ये देश तो हमारा ही है घटिया लोग यहां आएंगे तो इससे देश का बंटाधार हो जाएगा। हम अपने अधिकार का प्रयोग करते रहे तो एकदिन जिन नेताओं का हम सपना देखते हैं वैसे नेताओं का निर्माण शुरू हो जाएगा। अभी तो यह शुरुआत है जिसमें सभी को अपना योगदान देने की जरूरत है। अंत में यही कह सकता हूं कि पप्‍पू वोट कर सकता है।

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