सोमवार, 25 मई 2009

हिम्‍मत है तो आस्ट्रिया में जाकर आग लगाओ

अमेरिका में एक हिंदू की हत्‍या कर दी गई, आस्‍ट्रेलिया में सिखों पर कहर बरपाया, आस्ट्रिया में झडप में एक सिख गुरू की मौत। इस खबर को सुनते ही हमारे प्‍यारे देशवासी अपने घरों से निकले ट्रेनें फूंक दीं। पटरियां उखाड दीं। कारों में आग लगा दिया। पुलिस की गाडियों को फूंक दिया। रास्‍ते जाम कर दिए। जितना हो सका अपने देश की प्रापर्टी को फूंक दिया जिससे बाहर देश के लोगों को पता चले कि अगर तुम हमारे आदमियों पर बुरी नजर डालोगे तो हम अपने देश को ऐसे ही बर्बाद करेंगे। आज सुबह पंजाब में जिस तरह से लोगों ने अपने देश की प्रापर्टी को नुकसान पहुंचाया इससे क्‍या उन सिख गुरू को न्याय मिल पाया जो इस घटना का शिकार हुए थे। अगर किसी में दम है तो यह काम जो आज भारत माता को जलाकर किया जा रहा है यही आस्ट्रिया में होना चाहिए था। पर वहां की खुंदक अपने देश पर उतारकर सिर्फ एक मूर्खता की मिशाल पेश कर रहे हैं हमारे देशवासी। बसें जल जाएंगी तो कल से लोगों को चलने में दिक्‍कत होगी। ट्रेनें नहीं रहेंगी तो यात्रा कैसे करोगे। शहर फूंक दोगे तो उसे व्‍यवस्थित कौन करवाएगा। आज आप जोश में आकर अपने देश को उजाड रहे हो कल जब पानी की कमी होगी, परिवहन के साधन नहीं होंगे, सडकें तालाब का रूप ले लेंगी। तो एक बार आप के दिल में सरकार के प्रति रोष पनपेगा और आप इसे सरकार के उपर थोपकर पिफर अपने ही देश को तोडोगे। मुझे लगता है अगर धर्म के नाम पर लोग सरकारी प्रापर्टी जो कि हमारी ही है उसको नुकसान पहुंचाना बंद कर दें तो हमें बहुत सी समस्‍याओं से निजात मिल जाएगी। आज जिस घटना पर पंजाब जल रहा है उसमें पंजाब का कोई दोष नहीं है दोषी तो वे हैं जो यह क्रत्‍य कर रहे हैं। इससे उन पवित्र संत रामानंद जी की आत्‍मा को भी ठेस लगेगी। क्‍योंकि कोई भी संत उग्रवाद का पाठ नहीं पढाता। भाई जब पंजाब की इसमें कोई गलती नहीं तो उसे बर्बाद क्‍यों कर रहे हो? अगर कुछ करना ही तो चलो आष्‍ट्रिया चलते हैं और उसका अस्तित्‍व मिटाते हैं क्‍योंकि वहां हमारे संत पर हमला हुआ है। पर किसी को भारत माता को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसा कोई भी दुनिया का मुल्‍क नहीं करता। अरे हम पर दुनिया हंस रही होगी और हमें पागल कह रही होगी कि देखो घटना कहीं घटी और आग कहीं और लग रही है। भाई अपने आप को संभालो और अपना देश बचा लो।
जय हिंद जय भारत

1 टिप्पणी:

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण ने कहा…

बिलकुल सही कहा। अंग्रेजी की एक कहावत याद आ गई, cut off the nose to spite the face. इससे आखिर अपना ही नुकसान होता है। मुर्खता की हद है।