मंगलवार, 11 अगस्त 2009

पहनावे पर भारी पडती भगवान की रचना

जब भगवान ने लोगों को बनाया था उस समय उन्‍होंने वस्‍त्र के बारे में सोचा ही नहीं था। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर लोग भगवान की रचना हैं तो ऐसे में वस्‍त्र के रचयिता कोई और नहीं हम और आप हैं। पर इतना समझने में कि भगवान ने वस्‍त्र का निर्माण नहीं किया था हमें कई सदियां लग गईं। अब जाकर आधुनिक संसार में लोगों को इसकी महिमा समझ में आई है। मैं उदाहरण दूंगा विश्‍व में आयोजित एक बडे फैशन शो की उसमें डिजाइनर्स ने अच्‍छे-अच्‍छे परिधान डिजाइन किए थे। पर पुरस्‍कार उसको मिला जिसने महिलाओं के ऐसे अंर्तवस्‍त्र बनाए थे जिसमें से बहुत कुछ नजर आता था। उस समय मेरे दिमाग में एक ख्‍याल आया अगर वस्‍त्रों का अंबार लोगों के शरीर से यूं ही घटता गया तो वह दिन दूर नहीं जब भगवान को बेस्‍ट ड्रेस डिजाइनिंग का अवार्ड देने के लिए चुना जाएगा।
मंगलवार की सुबह जब मैं जिम पहुंचा और पार्किंग में गाडी पार्क करके आगे बढा तो एक साथ ढेर सारी भाषाओं में गीत सुनकर चौंक गया। मेरी नजर एक लडकी पर पडी जो मेरे जिम में मुझे रोज मिला करती थी पर मंगलवार को पार्किंग में दिख गई। सुबह के समय काफी लोग ऐसे जिम में आते हैं जो अपने ड्राइवर के साथ आते हैं वह सारे ड्राइवर सुबह पार्किंग में लडकियां देखकर यूं ही पास करते हैं। तो मैं मैडम की तारीफ कर रहा था मैडम को उपर से देखकर चौंक गया मेरे पैरों से जमीन खिसकते-खिसकते रह गई क्‍योंकि मैंने जब मैडम को उपर से देखा तो लगा वो जल्‍दी-जल्‍दी में नीचे अपना ट्राउजर पहनना भूल गईं। पर बाद में मैडम के कांफीडेंस को देखकर लगा ये उनका फैशन है। जिसे देखकर सारी गलियों में संगीत गूंजने लगा था हर कोई अपनी भाषा में उसके लिए गीत गा रहा था और मैडम इतराती बलखाती मल्लिका से भी कम कपडे पहनकर जिम की ओर मुस्‍कराती हुई बढती चली जा रही थीं। भाई साहब मैडम को तो लोगों ने बाहर देखा तो इतने खुश हो गए और अब आप मेरा अंदाजा लगाइए मैंने उनके साथ एक घंटा जिम के अंदर गुजारा। पर मैडम का जादू हर तरफ चल रहा था आप जानकर हंसेंगे जिन हाथों से 30 किलो के डंबल उठते थे मंगलवार को पांच किलो उठाने भी भारी पड र‍हे थे। पर कुछ भी हो ये है भगवान की असल रचना की थोडी सी झलक जो धीरे-धीरे अपनी पूर्णता की ओर बढ रही है। जिस दिन ये परदा भी हट जाएगा समझ जाइएगा लोगों को सत्‍य का ज्ञान हो गया है।

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