बात उन दिनों की है जब मैंने जागरण में नौकरी शुरु की थी और मुझे खोडा से निकलकर नोएडा में मेडिकल बीट देखने का अवसर मिला था। अक्सर इस पार्क में जाकर खाली समय अकेले बिताया करता था। यह फोटो मेरे एक सहयोगी साथी राजेश गौतम ने 2005 में नोएडा के गौतमबुद्व नगर पार्क में ली थी। यह वही पार्क है जिस पर आजकल बवाल चल रहा है क्योंकि मायावती ने इस पार्क का अस्तित्व हमेशा के लिए मिटाकर वहां पर अपनी खूबसूरत प्रतिमाओं और हाथियों के मूर्तियों का जमघट पता नहीं कितने सौ करोड रुपये खर्च करके लगवा दिया। उस समय तक यह पार्क पूरे नोएडा की जान हुआ करता था। यहां पर लोग अपने पूरे परिवार के साथ आकर मस्तियां करते थे। नोएडा टोल से सटे इस पार्क को तोडकर यहां कुछ और बनवाने का फैसला माया ने क्यों लिया ये तो मैं नहीं जानता पर हां इससे इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि ऐसा करके माया ने अपनी स्वतंत्रता का असल उदाहरण पेश किया है कि देखो जब पावर हो तो कुछ भी किया जा सकता है। एक खूबसूरत पार्क को उजडवाकर माया ने ऐसा पाप किया है जिसके लिए न तो उन्हें मैं माफ करुंगा न ही नोएडा की जनता। मैं उन लकी लोगों में से हूं जिन्होंने इस पार्क का दीदार काफी करीब से किया था। आप सबके लिए मैं यहां अपनी कुछ फोटो डाल रहा हूं जिससे आप उस पार्क के खूबसूरती का अंदाजा लगा सकते हैं।

पार्क का फव्वारा जो हर शाम को रंग बिरंगे लाइट्स में चमक उठता था। दिन में भी इसकी खूबसूरती कम नहीं रहती थी।

अब भी जब मैं इस फोटो को देखता हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि मैंने उस पार्क को देखा था जिसे माया ने अपने नाम के लिए शहीद कर दिया। माया की उन बेजान मूर्तियों में हरे-भरे पेडों की आह दिखती है जिसे शहीद कर दिया गया। माया के द्वारा बनाया गया पार्क भले ही कितने रुपयों से तैयार हुआ साहो पर कुल मिलाकर वह सिर्फ हरे-भरे पेडों की कब्रगाह के अलावा और कुछ नहीं।
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